वीडियो: बारिश के कारण एक और पुलिया बह गई, जिससे बिहार के उत्पाद मंत्री के गांव का रास्ता बंद हो गया


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बिहार में बरसात के दौरान नालों की धुलाई का काम चलता रहता है. ताजा मामला सहरसा जिले का है. राज्य के उत्पाद मंत्री रत्नेश सादा के गांव जाने वाली सड़क पर बनी पुलिया ध्वस्त हो गयी. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. उत्पाद मंत्री का पैतृक गांव एसएच रोड नं. महिषी प्रखंड के कुंता पंचायत और नवहट्टा प्रखंड के आधा दर्जन गांवों को जोड़ने वाली एकमात्र मुख्य सड़क एसएच रोड नंबर 17 के बीच स्थित करीब 15 साल पुरानी पुलिया ध्वस्त हो गयी. इस बांध के टूटने से इलाके के लोगों का आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है. घटना की सूचना मिलने के बाद जिला आयुक्त, पुलिस और विभागीय इंजीनियरों ने घटनास्थल का दौरा किया.

मिली जानकारी के अनुसार कुंटा से रोड नंबर 17 को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क का निर्माण लगभग 15 वर्ष पूर्व आरडब्ल्यूडी द्वारा कराया गया था, जिसमें बाढ़ के पानी की निकासी के लिए कई छोटे-छोटे नालों का निर्माण कराया गया था. इसमें बलिया सीमार के पास बना एक बांध टूट गया. नाला टूट जाने से इस रास्ते से लोगों का आना-जाना बंद हो गया है. लोगों ने बताया कि शायद बाढ़ का पानी अधिक बहने के कारण दीवार के नीचे की मिट्टी के साथ-साथ दोनों ओर की मिट्टी, रेत और सीमेंट भी पानी में बह गया और पुलिया को निगल गया.

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सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए जलई ओपी पुलिस व सीओ अनिल कुमार मौके पर पहुंचे और स्थिति को देखकर आरडब्ल्यूडी इंजीनियर के अधिकारियों से संपर्क कर मौके पर पहुंचे. उन्होंने घटनास्थल पर स्थिति का निरीक्षण किया और उच्च अधिकारियों को सूचित किया। सीओ समेत वरीय अधिकारी लोगों को तत्काल सुलभ परिवहन व्यवस्था मुहैया कराने की व्यवस्था में जुटे हैं.

सोनवर्षा के जदयू विधायक और बिहार के उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री रत्नेश सादा के गृह गांव सीमार तक बलिया ही एकमात्र मुख्य सड़क है। इसके अलावा बलुवाही, नौला, नारायणपुर गांव को नवहट्टा प्रखंड के धरहर व बलिया सीमार तथा कुंता गांव को प्रखंड जिले से जोड़ने वाली यह एकमात्र मुख्य सड़क है. इस मार्ग से प्रतिदिन 150 से 200 छोटे-बड़े वाहन चलते हैं। इसके गिरने से करीब 50 हजार लोगों की आवाजाही पर प्रतिकूल असर पड़ा है.

ग्रामीणों ने बताया कि बांध टूटने के कारण उनका गांव से बाहर निकलना बंद हो गया है. यह सड़क और बांध 2010 में बनाया गया था. बाद में 2016 और 2021 में सड़क मरम्मत का काम तो हुआ, लेकिन बांध मरम्मत के नाम पर कागजी खानापूर्ति की गयी. लोगों का आरोप है कि विभाग द्वारा सड़क व पुलिया निर्माण के दौरान गुणवत्ता तथा निर्माण के बाद सुरक्षा व रख-रखाव पर ध्यान नहीं दिये जाने के कारण यह घटना घटी. लोगों ने मांग की है कि जिला प्रशासन, अंचल प्रशासन और विभाग तत्काल ऐसी व्यवस्था करें ताकि जहां नहर टूटे, वहां आवागमन निर्बाध रूप से जारी रहे.

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